कविता में भावों की अभिव्यक्ति का एक माध्यम होता है 'शब्द'। तीसरा सप्तक की भूमिका में श्री अज्ञेय जी ने यह उल्लेख किया था कि'शब्द अपने आप में सम्पूर्ण या आत्यन्तिक नहीं है' 'प्रत्येक शब्द के अपने वाच्यार्थ अलग अलग लक्षणायें एवं व्यंजनायें होती हैµअलग अलग संस्कार और अलग अलग घ्वनियाँ भी। 'किसी शब्द का कोई स्वयंभूत अर्थ नहीं है। अर्थ उसे दिया गया है, वह संकेत है जिसमें अर्थ की प्रतिपत्ति की गयी है।' एकमात्र उपयुक्त शब्द की खोज करते समय हमें शब्दों की तदर्थता नहीं भूलनी होगीऋ वह एकमात्रा इसी अर्थ में है कि हमने ;प्रेक्षण को स्पष्ट, सम्यक और निभ्र्रम बनाने के लियेद्ध नियत कर दिया है, कि शब्द रुपी अमुक एक संकेत का एकमात्रा अभिप्रेत क्या होगा।'
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